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चले मेरी बाइसिकिल / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
टुन-टुन-टुन, टुन-टुन-टुन,
चले मेरी बाइसिकिल।
सर-सर-सर, सर-सर-सर,
गलियों में भागे।
फर-फर-फर, फर-फर-फर
सौ चक्कर काटे।
मोड़ों पर झटपट से
अपना मुँह मोड़े।
बिना रुके मीलों तक
पहियों पर दौड़े।
मोटर की तरह धुआँ
कभी नहीं फैलाए।
डीजल, पेट्रोल छोड़
सिर्फ हवा खाए।
टुन-टुन-टुन, टुन-टुन-टुन,
चले मेरी बाइसिकिल।