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चले लखनऊ पहुंचे दिल्ली / बजरंग बिहारी 'बजरू'

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चले लखनऊ पहुंचे दिल्ली,
चतुर चौगड़ा<ref>खरगोश</ref> बनिगा गिल्ली<ref>गिलहरी</ref>।

हाटडाग सरदी भय खायिन,
झांझर<ref>जीर्ण-शीर्ण, कमज़ोर</ref> भये सुरू मा सिल्ली<ref>शिला, चट्टान</ref>।

समझि बूझि कै करो दोस्ती,
नेक सलाह उड़ावै खिल्ली।

बब्बर सेर कार मा बैठा,
संकट देखि दुबकि भा बिल्ली।

'बजरू' बचि कै रह्यो सहर मा,
दरकि जाय न पातर झिल्ली।

शब्दार्थ
<references/>