भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चलै तो दर्शन करि आवैं / ब्रजभाषा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

देवी मैया कौ जुड़ौ है दरबार,
लँगुरिया चलै तो दर्शन करि आबें॥ टेक
बाग तमाशे हम गये, देख बाग तमाशे...
डाली डाली पै लगी हैं तस्वीर॥ लँगुरिया.
ताल तमाशे हम गये, देख ताल तमाशे हम गए...
घाट घाट पै लगा दयीं तस्वीर॥ लँगुरिया.
कुआ नहाने हम गये, कुआ पै नहाने...
गगरी गगरी पै लगी वहाँ तस्वीर॥ लँगुरिया.
महल तमाशे हम गये, देख महल तमाशे...
खिड़की-2 पै लगा दयीं तस्वीर॥ लँगुरिया.
सेज पौढ़न जब हम गये, सेज पौढ़न...
तकिया 2 पै लगी वहाँ तस्वीर॥ लँगुरिया.