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चलो इक बार, नदी के पार / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

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चलो इक बार, नदी के पार।
करेगें खुल कर दोनों प्यार।।

बुझेगी हम दोनों की प्यास।
जहाँ हो मन्द पवन की बयार।।

खिलेगें हर क्यारी में फूल।
चमन मुस्कंेगे देख बहार।।

करेगें जब नैनन को चार।
जनम भर के हम होगें यार।।

जलेंगे हर घर दीप चिराग।
मधुर रस की होगी बौछार।।