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चलो ऐसा करें इस बार अब ऐसा नहीं करते / सुरेश कुमार
Kavita Kosh से
चलो ऐसा करें इस बार अब ऐसा नहीं करते
किसी भी बात पर दिन-रात यूँ सोचा नहीं करते
ये बादल क्यों नहीं बरसे, वो सूरज क्यों नहीं निकला
बड़ों के बीच में बेसाख़्ता बोला नहीं करते
ज़रा-सा बिक गया उसने यहाँ क्या-क्या नहीं पाया
बचाते हो ज़मीर अपना ये तुम अच्छा नहीं करते
करोगे कब तलक बैठे हुए तुम इन्तज़ार उनका
गुज़र जाते हैं जो लम्हे वो फिर लौटा नहीं करते
ये कर देंगे, वो कर देंगे कि हर सूरत बदल देंगें
इरादा अब भी रखते हैं मगर दावा नहीं करते