Last modified on 4 मई 2018, at 13:10

चलो कुछ खेल जैसा खेलें / महेश आलोक

चलो कुछ खेल जैसा खेलें

थोड़ा- थोड़ा साहस थोड़ा- थोड़ा भय साथ-साथ रखें
थोड़ा-थोड़ा अनुचित थोड़ा-थोड़ा उचित
इतना प्रेम करें कि मजा यह भी हो कि थोड़ा-थोड़ा नैतिक
थोड़ा-थोड़ा अनैतिक होना अच्छा लगे

थोड़ी-थोड़ी सड़कें थोड़ी-थोड़ी खिड़कियाँ देह की अन्तिम कला में खोलें

थोड़ी-थोड़ी मृत्यु थोड़ा- थोड़ा जीवन
प्रेम के भीतर रखने का काम भी
गलत नहीं लगेगा ऐसे समय

इस कठिन समय में
चलो कुछ खेल जैसा खेलें