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चलो गीत गाओ, चलो गीत गाओ / भवानीप्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
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चलो गीत गाओ, चलो गीत गाओ।
कि गा - गा के दुनिया को सर पर उठाओ।
अभागों की टोली अगर गा उठेगी
तो दुनिया पे दहशत बड़ी छा उठेगी
सुरा-बेसुरा कुछ न सोचेंगे गाओ
कि जैसा भी सुर पास में है चढ़ाओ।
अगर गा न पाए तो हल्ला करेंगे
इस हल्ले में मौत आ गई तो मरेंगे
कई बार मरने से जीना बुरा है
कि गुस्से को हर बार पीना बुरा है
बुरी ज़िन्दगी को न अपनी बचाओ
कि इज़्ज़त के पैरों पे इसको चढ़ाओ।