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चलो चलेँ / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
समझदारोँ की भीड़ मेँ
नहीँ बचती संवेदना
बचती ही नहीं
...प्यार भरी मुस्कुराहट !
चलो वहां चलें
जहां सभी बच्चे होँ
पालनोँ मेँ झूलते
जो नाम पूछे बिना
मुस्कुराएं हमारी ओर !
उनके बीच
न ओसामा हो न ओबामा
न सैंसैक्स उठे न गिरे
न वोट डालने का झंझट
न भ्रष्टाचार न कपट !
वहां
सब के पास हो
सच मे करुण की निधि
कोई भी शीला
दीक्षित न हो
भ्रष्टाचार के खेल में !