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चलो दर्द दुनिया के मिल के सहेंगे / सूरज राय 'सूरज'
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चलो दर्द दुनिया के मिल के सहेंगे।
बनेंगे मिटेंगे-मिटेंगे बनेंगे॥
ये वह रास्ता है जहाँ दिल है रहबर
मुसाफ़ि र यक़ीनन-यक़ीनन लूटेंगे॥
शिक़ायत हो क्या सांप से दोस्तों से
अरे काम उनका है डसना डसेंगे॥
ख़ुशामद करूँ बेवफ़ा मरहमों की
मेरे बावफ़ा ज़ख़्म मुझपे हंसेंगे॥
हमारी मुहब्बत दो आँखों के आँसू
रहें आजू-बाजू मगर न मिलेंगे॥
छला जायेगा इस तरह दिन में "सूरज"
उजालों के किस्से अँधेरे कहेंगे॥