चलो पार्क में / प्रकाश मनु
चलो पार्क में, मौसम कितना प्यारा-प्यारा है!
चलो पार्क में, भैया, आओ साथ-साथ घूमेंगे,
चलो पार्क में, मस्त हवा के साथ जरा झूमेंगे,
चलो पार्क में, देखेंगे हम प्यारे-प्यारे फूल,
चलो पार्क में, सारे दुखड़े जाएँगे हम भूल।
लगता, खुली हवा में मन का उतर गया पारा है!
मम्मी जैसी पप्पी देती, हवा चल रही मीठी,
पापा जैसी दुलराती-सी, गंध हवा की मीठी,
भैया जैसे गुन-गुन करते पक्षी यहाँ मिलेंगे,
नन्ही मीशा की बातों से चंचल फूल खिलेंगे।
चलो पार्क में, एक नई दुनिया पुकारकर कहती-
तितली जैसी खुशियों से यह भरा जहाँ सारा है!
पापा, लगता, नई सुबह बस यहीं-यहीं उतरी है,
सात सुरों की सरगम बस, यहीं-यहीं बिखरी है,
पापा, लगता, मेरी मन बस बदल गया बिल्कुल,
पापा, लगता, साथ-साथ जग बदल गया बिल्कुल।
पात-पात में देखो तो, कैसी मस्ती है पापा,
फूल-फूल में बहती यह कैसी रसधारा है!