भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चलो मनाए पिकनिक / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चलो,
मनाएँ हम भी पिकनिक!

नदी किनारे रामबाग है,
रामबाग है हरा-भरा,
फूलों की घाटी है सुंदर
जैसे जादू वहाँ भरा।

पिकनिक वहीं मनाएँगे हम
छुट्टी है, प्यारा इतवार,
दीदी ले लो टेप-रिकार्डर
डांस करूँगा मैं इस बार।