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चलो हे बहिना सत्संगति में / रघुनन्दन 'राही'

चलो हे बहिना सत्संगति में, यही से निज कल्याण हे।
जे जे गेलै सतसंगति में, सब कोय भेलै महान हे॥
नारद ऋषि शृंगी अरु सदना, सुक सुकदेव जहान हे।
मानो हे बहिना गुरु-वचनियाँ, जम से पैभे त्राण हे॥
बालमीकि अगस्त अरु नाभा, राजपुतानि संतान हे।
भीलनी जाती शबरी माई, पूजै दुनिया जान हे॥
सत्संगति से सद्गुरु भेटै, देखो वेद पुरान हे।
जिनकी शरण में मुक्ति विराजै, ‘रघुनन्दन’ भव-यान हे॥