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चल दीदी पढ़ै लेॅ / अंजनी कुमार सुमन
Kavita Kosh से
चल नेॅ तोहूँ पढ़ै लेॅ दीदी
सबसें आगू बढ़ै लेॅ दीदी
घर में बैठल की करभी तों
झुट्ठो के सूटर गढ़भी तों
काम धाम के उमर पड़ल छौ
छोड़े ई सब गढ़ै लेॅ दीदी
चल नेॅ तोहूं पढ़ै लेॅ दीदी
सबसे आगे बढ़ै लेॅ दीदी।
देखी मुनियां भी जाबै छै
ओकरा क, ख, सब आबै छै
बप्पा के कहबौ तोरा पर
आब काम नै मढ़ै लेॅ दीदी
चल नेॅ तोहूँ पढ़ै लेॅ दीदी
सबसे आगे बढ़ै लेॅ दीदी।
जे जे सुनबै छौ सब नानी
मिलै किताबें वही कहानी
सिखभी खेला रंग-बिरंगा
मिलतौ पक्का चढ़ै लेॅ दीदी
चल नेॅ तोहूँ पढ़ै लेॅ दीदी
सबसे आगे बढ़ै लेॅ दीदी।