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चल रौ गोगन / नारायण झा
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चल रौ गोगन चल-चल-चल
चल पोखरि पर चल-चल-चल
बीछि-बीछि झुटकीकेँ राखब
चल पोखरिमे पूड़ी पाड़ब
ओ पूड़ी नै मीठ नै तीत
भरए पेट नै आधो बीत
बनिते-छनिते पुड़ी बिलाए
क्षणहि ओ नै एको देखाए
पूड़ी देखि-देखि भूख लगैए
पेटहि आब बिलाड़ि कुदैए।