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चहुँदिस फेर इजोर हेतइ / किसलय कृष्ण
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बीति जेतै ई राति अमावस, चहुँदिसि फेर इजोर हेतइ
प्रलयक मेघ छँटबे करतै, जग में फेर हरियर भोर हेतइ
खोंता में सुबकल मनुक्ख उदास
ताकय आइ मिसिया भरि उजास
भकोभन्न बनल छै सब नगर गाम,
छै चूल्हा चक्की पड़ि रहल उपास...
मिलि लड़बै संकट सँ तँ, बिहुँसैत सभक फेर ठोर हेतइ
प्रलयक मेघ छँटबे करतै, जग में फेर हरियर भोर हेतइ...
मारू जुनि प्रकृति केँ आबो लथार
नहि भोथियौ मीत पोखरि इनार
ग्लोबल गाम थिक सिम्मरक फूल,
छै अनमोल अपन ओ खेते पथार
बात बुझब जँ पुरखा केर तँ, ककरो आँखि नहि नोर हेतइ।
प्रलयक मेघ छँटबे करतै, जग में फेर हरियर भोर हेतइ।