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चहुं ओरन ज्योति जगावै / किशोर
Kavita Kosh से
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चहुं ओरन ज्योति जगावै, 'किसोर', जगी प्रभा जीवन-जूटी परै।
तेहिं तें झरि मानों अंगार अनी, अपनी घनी इंदुट-बधूटी परै॥
चहुं नाचै नटी सी, जराव जटी सी, प्रभा सों पटी सी, न खूटी परै।
अरी एरी हटापटी बिज्जु छटा, छटी छूटी घटान तें टूटी परै॥