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चाँदनी में धुला इतिहास / शिवबहादुर सिंह भदौरिया

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अन्धकार से घिरे
आम के नीचे
सूखी एकत्र पत्तियों पर
‘टप’, के सहस्त्रांश से कम ध्वनि में
टहनी से आ झरी-
एक पत्ती,
स्वर चाँदनी में
धुला हुआ इतिहास जी लिया
कानों ने
सत्याणुओं को पी लिया
एकान्त के आगे
भाषा ने हाथ फैलाये,
और फिर अप्रत्याशित
पाषाणी छन्दों में
संवेदनमय अर्थों के-
रत्न जगमगाये।