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चाँदनी / उमा शंकर सिंह परमार
Kavita Kosh से
दिल्ली
नहीं दिखती तुझे
हिंसक, कलंकी, कुकर्मी
चन्द्रमा की चाँदनी
गाँव में, शहर में,
आफ़िस में, अख़बार में,
सड़कों पर, कारोबार में,
फैली निर्ववसना निर्लज्ज
ख़ून खौलाती चाँदनी