भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चाँदनी / उमा शंकर सिंह परमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल्ली

नहीं दिखती तुझे
हिंसक, कलंकी, कुकर्मी
चन्द्रमा की चाँदनी

गाँव में, शहर में,
आफ़िस में, अख़बार में,
सड़कों पर, कारोबार में,
फैली निर्ववसना निर्लज्ज
ख़ून खौलाती चाँदनी