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चाँद की तरह / रश्मि रेखा
Kavita Kosh से
चाँद को देखा था एक रात चाँद बनकर
नींद के आकाश में आँखों के उजास की तरह
चाँद उगा था पश्चिम के आकाश में
डूबते हुए सूरज की तरह की तरह
शताब्दी के सबसे खूबसूरत चाँद को
देखा एक रात सचमुच एक चाँद की तरह
चाँद के आईने में
खबरों के नक़्शे में दिखा नहीं उसका कोई देश
लेकिन मेरे सपनों में था उसका एक घर
धरती से आसमान तक को रौशन करते चाँद को
एक रात देखा मैंने
खुद चाँद बन कर