भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चाँद की दादी / अनुभूति गुप्ता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ओ चाँद की दादी,
ओ चाँद की दादी,
क्या तुम्हें कोई
लोरी नहीं आती?

ये गुपचुप-गुपचुप
क्या तुम हो गाती?
क्यों हम बच्चों को
लोरी नहीं सुनाती?