भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चाँद सूरज चल रहे हैं / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चाँद सूरज चल रहे हैं।
सब सितारे जल रहे हैं॥

आसमां तू ही बता दे
कौन हैं जो छल रहे हैं॥

जिंदगी में है भरे गम
अश्रुओं में पल रहे हैं॥

छोड़ दी जिन ने सचाई
हाथ अपने मल रहे हैं॥

हैं समस्याएँ अगर तो
सामने ही हल रहे हैं॥

जोड़ियाँ बन ही न पातीं
राशि में मंगल रहे हैं॥

हाथ जब तू ने बढ़ाया
साथ तेरे चल रहे हैं॥

छू गई है आग जैसे
हिम हृदय भी गल रहे हैं॥