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चाँद / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर
Kavita Kosh से
वह आधे चंद्रमा को
हाथ में उठा लेती है
वह आधे चंद्रमा के
आर-पार देखती है
वह काग़ज़ पर
आधे चंद्रमा के
टुकड़े उतार लेती है
वह आधे चंद्रमा को
फ़िर साबुत बचा लेती है