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चांदनी की चादर / शकुंतला सिरोठिया
Kavita Kosh से
चांदनी की चादर उढ़ाऊं तुझे मोहना,
सो जा मेरे लालना।
सूरज भी सो गया, पंछी भी सो गए,
डालो की गोदी में फूल सभी सो गए।
तू भी चुप हो जा, झुलाऊं तुझे पालना।
सो जा मेरे लालना।