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चांदनी / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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आसमान में चांद उगा
मुसकुराई चांदनी।

चंदा के संग आई
परियों-सी चांदनी

खिड़की से घुस आती
कमरे में चांदनी।

बिस्तर पर बैठती है
निंदियाती चांदनी।

आंगन के फूलों को
दुलराती चांदनी।

खेत-खलिहानों में
खेलती है चांदनी।

हमको बुलाती है
बाहर लो चांदनी।

रातों को दिन बना
देती है चांदनी॥