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चांद झूठा मगर सही रोटी / भावना

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चांद झूठा मगर सही रोटी
सारे रिश्तों में है खड़ी रोटी

कुछ की किस्मत में सिर्फ है सत्तू
कुछ की किस्मत में घी- सनी रोटी

पेट जिन्दा तो रोटियां जिन्दा
वरणा सोचो कहाँ पे थी रोटी

अन्नदाता चला गया ऊपर
सबकी थाली में लो सजी रोटी

तेज बारिश में बुझ गया चूल्हा
अब तवे पे है अधपकी रोटी

हम न मर जाएँ भूख में तिल-तिल
कितने टुकड़ों में है बंटी रोटी