हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चाकी पै धर्या पीसणा चाकी का भार्या पाट
मेरे घर में जुलमी सास जगावै आधी रात
पीसण आई चाकी पै बेरी सांप फिरै
तैं मन्ने खा ले घर की राड़ मिटै
चाकी पै धर्या पीसणा चाकी का भार्या पाट
मेरे घर में जुलमी जिठाणी जगावै आधी रात
पीसण आई चाकी पै बैरी सांप फिरै
तैं मन्ने खा ले घर की राड़ मिटै
चाकी पै धर्या पीसणा चाकी का भार्या पाट
मेरे घर में जुलमी नणद जगावै आधी रात
पीसण आई चाकी पै बैरी सांप फिरै
तैं मन्ने खा ले घर की राड़ मिटै