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चाकी बड़ी दुखदाई बलम मेरे झो के तवाई / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चाकी बड़ी दुखदाई बलम मेरे झो के तवाई
निंदरिया की आमें जम्हाई मोहे बरो अलकस आवे
सासू मेरी किल्ल मचावे आधी रात ते मोहे जगावे
सगरी रात जगाई बलम मेरे झो के तवाई
पिया मेरे अंजन मंगवा दे जल्दी तूं चाकी लगवा दे
आजारोज पिसाई बलम मेरे झो के तवाई
चाकी में काम होय बन्दवा को के या काम होवे रंडवा को
मैं या ते बहुत दुख पाई बलम मेरे झो के तवाई