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चाकुओं के गाँव में इन्सान की बातें न कर / पुरुषोत्तम प्रतीक
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चाकुओं के गाँव में इनसान की बातें न कर,
है बहुत ख़तरा यहाँ ईमान की बातें न कर ।
पार जाना है अगर तो बात उनकी मान ले,
किश्तियों का दोस्त बन तूफ़ान की बातें न कर ।
पुण्य क्या है पाप क्या है सोचना ही छोड़ दे,
बाल - बच्चेदार है श्मशान की बातें न कर ।
इस हवेली में पुराने भूत का परिवार है,
तू लंगोटी को बचा वरदान की बातें न कर ।
बाज ने चिड़िया पकड़ ली और उसको खा गया,
खा गया तो खा गया बेजान की बातें न कर ।