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चाचा के उबटन चाची के तेल / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चाचा के उबटन चाची के तेल, चलु हे सखि सब उबटन घोरै<ref>घोलने</ref>।
दुलरैती के अँग लागे उबटन तेल, एकलौती के अँग लागै उबटन तेल।
राधा पेयारी के अँग लागै उबटन तेल॥1॥
भैया के उबटन भौजी के तेल, चलु हे सखि सब मंगल गाबै।
दुलरैती के अंग लागे उबटन तेल, एकलौती के अँग लागै उबटन तेल।
राधा पेयारी के अँग लागे उबटन तेल॥2॥

कवन बाबा मेथिया बेसाहल<ref>खरीदा</ref>, कवन दादी पीसल हे।
बड़का बाबा मेथिया बेसाहल, ऐहब<ref>सौभाग्यवती</ref> दादी पीसल हे।
मुहँमा पसारू दुलारी धिआ, लागत उबटन हे॥1॥
कवन चाचा हरदी बेसाहल, कवन चाची पीसल हे।
अप्पन चाचा हरदी बेसाहल, ऐहब चाची पीसल हे।
बहियाँ पसारू दुलारी धिआ, लागत उबटन हे॥2॥

शब्दार्थ
<references/>