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चान्द / विस्टन ह्यु ऑडेन / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
स्मृतियों और दुखों के घर पर
एक धुन्धली शाम को होता है उदित
एक छोटा चान्द
बारिश द्वारा विस्मृत कर दिए गए
बग़ीचे के नीले फूल
परछाइयाँ जो
बगै़र पलकों के सोती हैं
शब्दों के भीतर
तमाम दुनियाओें की हल्की सी ख़ुशबू
समय शोकरहित और दुहराव से भरा
काली शाखाएँ
जिनकी पत्तियाँ ग्रस्त हैं
अनिद्रा रोग से
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : नरेन्द्र जैन