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चान जइसन मुस्काइत / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना
Kavita Kosh से
तू हमरा न तरसावऽ
चातक के जइसन
ई अमावस्या के
घोर अन्हरिया रात में
चान के आसो त न हए अखनी
फेरू काहेला तू सतबईत हतऽ
आंख में बस के करेजा में धरके
जरबइत हतऽ
तू काहेला बन गेलऽ ह
चान जइसन
आ हमरा बना देलऽ ह चातक
कहीं अइसन न होए-
कि ई चातक
तोहर प्रेम के एगो बूनी खातिर
तरसइत
बीता देत अप्पन जिनगी
आउर तू
चान जइसन मुसकाइते रहबऽ