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चाय-3 / नूपुर अशोक

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चाय पी जाती है
धीरे-धीरे
घूँट-घूँट,
जीवन की तरह
पल-पल
हर दिन
भरपूर!
अंत में
थोड़ी रह जाती है
कप के तले में,
जीवन में भी
रह ही जाता है
कुछ,
भूल जाने लायक!