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चारों ओर बर्बरता / शहनाज़ मुन्नी / अनिल जनविजय

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बहुत विस्तृत है यह बर्बरता

तीर्थयात्रियों के लिए
पवित्र भूमि की ज़रूरत बढ़ती चली जाती हैं;
जब-जब उनकी सांस की गति बढ़ने लगती है
ऊर्जा की गति की तरह;
उत्तर की ओर खुलने वाले कमरे में सर्दी गाती है;
उनके आगे-पीछे हमेशा जैसे बारह बजे रहते हैं
उनकी कुँवारी बहनें
अपने गुरुत्वाकर्षण से उस उड़ जाने वाले शरीर को
वापिस खींच लाती हैं ।

मैं उस सावधान शिकारी-शेर को जानती हूँ;
घोर अन्धेरे में उसकी ठुड्डी पर
रक्त लगा हुआ था।
उसके बाल लहरा रहे थे धुन्ध में
जब वो पत्तों के पीछे छिपा हुआ था
पर वही शेर
वहाँ से बाहर निकलने के बाद
एक मरे हुए शेर और एक नीले कौवे में बदल जाता है ।

और नीले कौवे ने हवा को रोक लिया है,
मैं उन्हें तैयार आग में फेंक देती हूँ
एक चीख़ निकलती है मुँह से और तुम्हारी माँ कराहती है
उस दर्द भरी सुबह

एक बार की बात है एक देश में एक राजा था
और उसके सभी युवा हंस जंगल में थे
प्यार करता है वह मुझे
और हमेशा मुझे
सबके सामने समाज की
आठवें वर्ग की गुलाम कहता है
और कहता है —
प्रभुकन्या ! तुम्हारी यह मुस्कान अच्छी निशानी नहीं है,
ऐसे मत हंसा करो !

मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल बांगला में पढ़िए
           শাহনাজ মুন্নী
         বিস্তারিত ভাঙচুর

তীর্থযাত্রীদল খোঁজে পবিত্র ভূমি; দ্রুত হয় যুগপৎ শ্বাসক্রিয়া
শক্তি গতি; উত্তররুখী ঘরে গীত গায় শীতকাল; চিরকাল ফিরে ফিরে বারোটি
কুমারী বোন; মাধ্যাকর্ষণ টেনে রাখে উড়ন্ত মানুষ।

আমি সেই সতর্ক সিংহশিকারীকে জানি; অকৃত্রিম আঁধারে তার চিবুকে
ফিনকি দেয়া রক্ত। কুয়াশায় সিংহের কেশর ভাসে, রোয়া ঝরে এবং চামড়া
ছাড়াবার পর মৃত সিংহ হয় আরেকটি নীল কাক।

ও নীল কাক ও দিলসাফ বাউণ্ডুলে বাতাস, সম্পন্ন অগ্নিতে দেখো নিক্ষেপ করি
জিভ, চিৎকার এবং মা তোমার আহাজারি তোমার কষ্টময় প্রভাত
একদেশে একদিন যে রাজা ছিলো তার সমস্ত নাবালিকা হংসীরা শৃগালেরে
ভালবাসে আর আমারে সর্বদা সভয়ে এক অষ্টাদশী ক্রীতদাসী কহে
প্রভুকন্যা, এ হাসির লক্ষণ ভালো না, এভাবে হেসো না।