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चार दिन का सुख सदा मेहमान है / रंजना वर्मा

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चार दिन का सुख सदा मेहमान है ।
ग़म बनाता जिंदगी आसान है।।

मौत ही तो है मुकद्दर जीस्त का
आदमी झूठी दिखाता शान है।।

इश्क़ तो बस इश्क़ होता है यही
इश्क़ ही इंसान की पहचान है।।

चाह दौलत की करें किसके लिये
आदमी बस चार दिन मेहमान है।।

है नहीं परवाह कुछ तूफ़ान की
अब इरादा हो गया चट्टान है।।

है हक़ीक़त जिंदगी सपना नहीं
तू अभी भी जान कर अनजान है।।

रंग दुनिया के समझता ही नहीं
दिल बड़ा मासूम है नादान है।।