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चार दिन की ज़िन्दगी हँस कर बिताना चाहिये / रंजना वर्मा

चार दिन की ज़िन्दगी हँस कर बिताना चाहिए.
खुश स्वयं रह साथ में सबको हँसाना चाहिए॥

कौन है ऐसा जिसे नित पुष्प की शैया मिली
कंटकों से भी ज़रा-सा दोस्ताना चाहिए॥

चंद लम्हों के लिए खिलता सुमन है डाल पर
पुष्प-सा बन कोष खुशबू का लुटाना चाहिए॥

हैं समस्याएँ बढी जातीं यहाँ पर दिन ब दिन
आज इन से मुक्त दुनियाँ को कराना चाहिए॥

नफरतों के काफ़िले हैं दहशतों की आँधियाँ
विश्वको इन आपदाओं से बचाना चाहिए॥

लोग कुछ सोए हुए मद के नशे में आज भी
ढोल ताशे कान पर उनके बजाना चाहिए॥

बस यही संकल्प हो प्रण हो यही उद्देश्य हो
हों सुखी सब लोग ऐसा कर दिखाना चाहिए॥