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चार दिन / कविता कानन / रंजना वर्मा

चार दिन
मिले थे रब से
तीन बीत चुके
जीवन के
झंझटों में
जिम्मेदारियां उठाईं
सुख दुख झेले
कितने झमेले
अब आखिरी वक्त
मन करें सख्त
छोड़ दें दामन
कामना का
केवल भावनाएँ
देती रहें साथ
मन मे रहें
जगन्नाथ ।