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चार पेड़ के / विनोद कुमार शुक्ल
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चार पेड़ों के
एक-दूसरे के पड़ोस की अमराई
पेड़ों में घोंसलों के पड़ोस में घोंसले
सुबह-सुबह पक्षी चहचहा रहे थे
यह पड़ोसियों का सहगान है-
सरिया-सोहर की गवनई।
पक्षी,
पक्षी पड़ोसी के साथ
झुंड में उड़े।
परन्तु मेरी नींद
एक पड़ोसी के नवजात शिशु के रुदन से खुली।
यह नवजात भी दिन
सूर्य दिन को गोद में लिए है
सूर्य से मैंने दिन को गोद में लिया।