भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चार वर्षों से चाह रही हूँ भावुक होना / कात्यायनी
Kavita Kosh से
चार वर्षों से
चाह रही हूँ
भावुक होना
कुछ देर के लिए...
समय नहीं मिलता।
पर प्रेम की एक कविता
लिखने के लिए
ज़रूरत नहीं भावुक होने की
जैसे कि भावुक हुए बिना
करते हैं आज प्रेम!
रचनाकाल : जून 1993