चालण रो वर दे माँ मार्ग कांटा सूं भरपूर / तन सिंह
चालण रो वर दे माँ मार्ग कांटा सूं भरपूर ।।
पग-पग कांटा जग में दिसै ,कांटा में कई फूल निपजै ।
कांटा री दुनियाँ में माता क्यूँ जाऊँ मै भूल ।। चालण....
हालण लाग्यो जळ थळ सारो ,झोंका दे बायरियो प्यारो ।
ऊँचा महल उबासी लेवे झुंपी झेरां पूर ।। चालण.....
आज सांच रो मारग दिसै ,वीर सुरमा म्हनै उडीकै ।
परभाते री नींदडली हमें मत कर तू मजबूर ।। चालण.....
एक जीव है अंग हजारों ,छोट मोट है भैद कठे रो ।
घर रै गोधम गजनी रै कांटे ,पीथल खोयो नूर ।। चालण.....
सतियाँ सत् कांटा बळ राख्यो ,कांटा चल राणै प्रण राख्यो ।
हूँ तो माता करणों चाऊ , कांटा रो मदचूर ।। चालण.....
सुख करतां दुःख आवै आण दे ,जगहित शिव ने जहर पियणदे ।
धर्म प्रीत रा गीत गावतां आवण दे तिरशूल ।। चालण.....
१७ मार्च १९५०, बाड़मेर