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चालीस पार की औरतें / मंजुश्री गुप्ता
Kavita Kosh से
तन, मन और जीवन के
कितने परिवर्तनों से गुजरती हैं
चालीस पार की औरतें!
चेहरे पर उभरती झुर्रियां
बालों के चन्दीले तार
आँखों के नीचे काले घेरे
फैलती कमर नया चढ़ा चश्मा
आईने में खुद को पहचानने की
कोशिश करती है
चालीस पार की औरतें
इन सबको ब्यूटी पार्लर और जिम जाकर
फेशियल, स्पा, हेयर कलर से
छुपाने की कोशिश करती हैं
चालीस पार की औरतें
बच्चे बड़े होकर अपनी दुनिया में
और पति अपने काम में
ज्यादा से ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं
हार्मोनल परिवर्तनों, नयी-नयी बीमारियों
बदलते रिश्तों के बीच
जब ज्यादा भावनात्मक सहारे की
जरुरत होती है
तब और तनहा हो जाती हैं
चालीस पार की औरतें!