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चाल और भी दिल-नशीन हो जाती है / जाँ निसार अख़्तर
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चाल और भी दिल-नशीन हो जाती है
फूलों की तरह ज़मीन हो जाती है
चलती हूँ जो साथ-साथ उनके तो सखी
खुद चाल मेरी हसीन हो जाती है