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चाल शहजादी निकाह पढ़ा ले रस्ता टोहणा पड़ग्या / मेहर सिंह

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हिन्दूओं की ली उठ देख मनैं मुस्लिम होणां पड़ग्या
चाल शहजादी निकाह पढ़ा ले रस्ता टोहणा पड़ग्या।टेक

मुस्लम तै होणा होगा कोन्या करणा टाला
किते भी ना हुई सुणाई सब कुछ देख्या भाला
वीर आर्य होते तो आज क्यूं होता मुंह काला
गहरी नींद पड़े सोवैं सै ना कोए जगावण आला
मुस्लिम सारे जाग रहे हिन्दुओं नै सोणा पड़ग्या।

उल्टा पैर नहीं धरणे का आगै नैं बढ़या करूंगा
थारे मजहब की बातां तैं में नया कढ्या करूंगा
संध्या हवन छोड़ कै नैं नमाज नै पढ्या करूंगा
मन्दिर म्हं जाणा तज कै नैं मस्जिद म्हं चढ्या करूंगा
मेरे नाम का रै शहजादी ओरां कै रोणा पड़ग्या।

जिस छाया म्हं रहया करैं थे उड़ै डटता घाम नहीं सै
उस निराकार की मेहर बिना कोए बणता काम नहीं सै
पिता नयन चन्द इस दुनियां म्हं बिल्कुल नाम नहीं सै
जिस निर्जल म्हं न्हाया करते गंगा का धाम नहीं सै
तूं सै लेट सड़े पानी की मनैं नाक डुबोणा पड़ग्या।

कंगले नै धनवान बणादे हे ईश्वर तेरी माया
धन आलै नै कंगला बणां दे भूखा मरे जां तिसाया
अंधा लंगड़ा काणा लूला कोढ़ी लुन्ज बणाया
एक अैब मेरै बी मोटा यो गावण का लाया
जाट मेहर सिंह गाणें पै आशिक होकै थूके बिलोंणा पड़ग्या।