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चाहता हूँ तुम्ही में खो जाना / ईश्वरदत्त अंजुम
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चाहता हूँ तुम्ही में खो जाना
जानो-दिल से तुम्हारा हो जाना
दिल गुनाहों से दाग़दार हुआ
सख़्त मुश्किल है दाग़ धो जाना
जिसको चाहा है टूट कर तुमने
उसकी राहों की गर्द हो जाना
ऐ मेरे आसुंओं क़सम हैं तुम्हें
दामने-दिल मिरा भिगो जाना
पाना चाहो जो गुहरे-नायाब
उसकी तुम जुस्तजू में खो जाना
चाहता है वो आहो-गिरियां हो
मेरी दिल की ज़मीं में बो जाना
जा रहे हैं जहां से हम बे-फ़ैज़
खुद को जाना न आप को जाना
उसका मिलना मुहाल था 'अंजुम'
उठ गये हम जहां से तो जाना