चाहता हूँ प्रेम / येव्गेनी येव्तुशेंको
मैं नहीं चाहता हर कोई मुझे प्यार करे
इसलिए कि संघर्ष की भावना के साथ-साथ
मुझमें बीज की तरह बैठा है मेरा युग
शायद एक नहीं, बल्कि कई-कई युग ।
पश्चिम के प्रति मैं सावधान होने का अभिनय नहीं करता,
न पूरब की पूजा करता हूँ अन्धों के तरह,
दोनों पक्षों की प्रशंसा पाने के लिए
मैंने स्वयं अपने से पूछी नहीं पहेलियाँ ।
अपने हृदय पर हाथ रख
सम्भव नहीं है इस निर्मम संघर्ष में
पक्षधर होना एक साथ
शिकार और शिकारी का ।
लुच्चापन है यह प्रयास करना
कि सभी मुझे पसन्द करें
जितनी दूर मैं रखता हूँ चाटुकारों को
उतनी ही दूर चाटुकारिता चाहने वालों को ।
मैं नहीं चाहता भीड़ मुझे प्रेम करे
चाहता हूँ प्रेम केवल मित्रों का ।
चाहता हूँ तुम मुझे प्रेम करो
और कभी-कभी मेरा अपना बेटा मुझे प्रेम करे ।
मैं चाहता हूँ पाना उनका प्रेम
जो लड़ते हैं, और लड़ते हैं अन्त तक
चाहता हूँ मुझे प्रेम करती रहे
मेरे खोए पिता की छाया ।