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चाहतें होती नहीं है बस दिखाने के लिये /शुचि 'भवि'

चाहतें होती नहीं है बस दिखाने के लिये
रूह की बातें हैं दुनिया से छुपाने के लिये

ख़ुद ही ख़ुद से दूर होती जा रही हूँ आज मैं
आपको आना ही होगा अब मिलाने के लिये

आपसे खुशियाँ हैं मेरी आपसे ही सारे ग़म
आपको ही मैं मिली हूँ यूँ सताने के लिये

इक मुहब्बत बस न आयी करनी हमको आजतक
वरना होते हम भी दिलबर इस ज़माने के लिये

याद बीते लम्हों की आती है तो जाती नहीं
सारे ग़म 'भवि' को मिले ही हैं रुलाने के लिए