जूते-चप्पल हमें
कहीं नहीं ले जाते
हमें हमारी मंज़िल तक
ले जाते हैं
केवल हमारे हाथ-पैर
मैं नहीं चाहता हूँ
राम की चरण-पादुका-सा
पूजा जाना
मैं बलराम के हल-सा
खेत की छाती में
उतर जाना चाहता हूँ
जूते-चप्पल हमें
कहीं नहीं ले जाते
हमें हमारी मंज़िल तक
ले जाते हैं
केवल हमारे हाथ-पैर
मैं नहीं चाहता हूँ
राम की चरण-पादुका-सा
पूजा जाना
मैं बलराम के हल-सा
खेत की छाती में
उतर जाना चाहता हूँ