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चाहत / सुशान्त सुप्रिय
Kavita Kosh से
जूते-चप्पल हमें
कहीं नहीं ले जाते
हमें हमारी मंज़िल तक
ले जाते हैं
केवल हमारे हाथ-पैर
मैं नहीं चाहता हूँ
राम की चरण-पादुका-सा
पूजा जाना
मैं बलराम के हल-सा
खेत की छाती में
उतर जाना चाहता हूँ