Last modified on 7 जून 2014, at 17:53

चाहत / सुशान्त सुप्रिय

जूते-चप्पल हमें
कहीं नहीं ले जाते
हमें हमारी मंज़िल तक
ले जाते हैं
केवल हमारे हाथ-पैर

मैं नहीं चाहता हूँ
राम की चरण-पादुका-सा
पूजा जाना
मैं बलराम के हल-सा
खेत की छाती में
उतर जाना चाहता हूँ