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चाहेगा क्यूँ वो पड़ना किसी के बवाल में / ज्ञानेन्द्र मोहन 'ज्ञान'
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चाहेगा क्यूँ वो पड़ना किसी के बवाल में।
जो शख़्स ख़ुद है उलझा हुआ अपने जाल में।
माँ बाप की दुआ से मिलेगा सुकूँने क़ल्ब,
कुछ वक़्त दीजिएगा अगर देखभाल में।
आवाम की खुशी व तरक्क़ी के वास्ते,
आते हैं हाथ जोड़ के हर पांच साल में।
आ ही नहीं रहा है वो हरक़त से बाज़ जब,
तगड़ा जवाब दीजिए उसको हर हाल में।
ऐसा करो न काम कि बदनामियाँ मिलें,
हो काम वो कि नाम लिखा हो मिसाल में।
होली है 'ज्ञान' आज लगो प्यार से गले,
आओ मलें मिला के मुहब्बत गुलाल में।