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चाहे सिर कलम कर दीजिए / सांवर दइया
Kavita Kosh से
चाहे सिर कलम कर दीजिए।
नहीं होंगे अब चुप लीजिये।
हमने तो सिर्फ सच कहा था,
हम पे हो रहा शक लीजिये!
जिनके बूते दम भरें आप,
उनके चेहरे फक लीजिये!
खुश हो रहे बहुत दूर निकल,
यहां भी हाजिर हम लीजिए!
चारों ओर फैलेगी आग,
शोलों को हवा अब दीजिये।