दिन के उजाले में 
बंद कर भी दें अगर 
कमरे की सारी खिड़कियाँ-  
दरवाजे 
चादर से मुंह ढाँप 
करें उपक्रम सोने का 
सोचें की 
चिंताओं से कोई भी
महफ़ूज़ हैं आप
या कि 
चिंताएँ सारी की सारी
ढांपते ही मुंह 
परे हो जाती हैं आप से 
तो आप ग़लत हैं
उजाले की तरह 
चिंता भी 
पा ही जाती हैं घुसने की जगह 
कभी खिड़कियों में दरारों से
तो कभी 
चादर में धागों की बुनावट के बीच 
कहीं से...