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चिटिकनी और अंतरताप / जय छांछा

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आँख
नाक
चमडी
ह्रदय
समग्र में शरीर है प्रेम ।

देखना
सूँघना
स्पर्श
धड़कन
जीवन की अनुभूति है प्रेम ।

अर्थात्
दरवाजे के दो पल्लों को
खिड़की की दो खापों को
जोड़ने वाली
चिटकिनी और
अंतरताप में
मधुर संबंध बताने वाला
स्वाभाविक क्रिया है प्रेम ।

मूल नेपाली से अनुवाद : अर्जुन निराला